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लेखनी प्रतियोगिता -01-Sep-2023किस्मत

विष्णुपद छंद गीत 16/10
सृजन शब्द-किस्मत

किस्मत ही रूठी है अपनी, डूब रहा सब है।
याद सदा ही आता हमको,अब तो वह रब है।।

मन की बात कहें हम किससे, कौन यहाँ सुनता।
बैठ अकेले अब मन मेरा,कुछ सपने बुनता।।
कोई मीत कहाँ है मन का, कहने को सब है।
याद हर घड़ी आता हमको,अब तो वह रब है।।

नाम सदा किस्मत का होता, जब भी हम फँसते।
देख दुखों को रो हैं देते,खुशियों में हँसते।।
उसकी इच्छा के बिन जग में,होता कुछ कब है।
याद हर घड़ी आता हमको,अब तो वह रब है।।

हो मंझधार बीच जब नैया, प्रेम सरल करता।
देख भला क्यों दुख की आँधी, हे मानव डरता।।
सौंप सहज दो जीवन प्रभु को,बैठा वह जब है।
याद हर घड़ी आता हमको अब तो वह रब है।।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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3 Comments

सुन्दर सृजन और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Punam verma

01-Sep-2023 05:39 PM

Very nice

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Sant kumar sarthi

01-Sep-2023 10:42 AM

👏👌

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